इस आर्टिकल में हम कक्षा 10 के विज्ञान के अध्याय 10 प्रकाश - परावर्तन तथा अपवर्तन का नोट्स देखेंगे। इसमें NCERT Book की सारी महत्वपूर्ण पॉइंट को कवर करेंगे। इसलिए Class 10 के सभी स्टूडेंट को इसे अंत तक पढ़ना चाहिए। साथ ही इस नोट्स का pdf भी प्राप्त करेंगे, जो आपको ऑफलाइन पढ़ने में हेल्पफुल होगा।
Class 10 Science Chapter 10 प्रकाश परावर्तन तथा अपवर्तन Notes in Hindi
Class 10 Science प्रकाश परावर्तन तथा अपवर्तन Notes in Hindi PDF |
Textbook | NCERT |
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Class | 10 |
Subject | Science (Physics) |
Chapter | 10 |
Chapter Name | Light - Reflection and Refraction |
Notes Medium | Hindi |
प्रकाश - परावर्तन तथा अपवर्तन (Light - Reflection and Refraction)
प्रकाश (Light)
जिस उर्जा की मदद से हम चीजों को देख पाते हैं, उसे प्रकाश (Light) कहते हैं। क्योंकि प्रकाश किरणें वस्तुओं से टकराकर हमारी आँखों तक पहुंचती है, और वस्तुओं को दृश्यमान बनाती हैं।
किरण (Ray)
किरण वह पथ (Path) है जिससे होकर प्रकाश ऊर्जा गमन (Travel) करती है। प्रकाश की किरणें सदैव (Always) सरल रेखा में गमन करती है। ये किरणें बस प्रकाश के रास्ते को दर्शाती हैं अर्थात् अगर हम इन्हें काफी नजदीक(Closely) से देखे तो हम पाएँगे कि प्रत्येक किरण अरबों किरणों का समूह है। किरणों के विशाल समूह को किरण पुंज (Beam) कहते हैं।
प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)
जब किसी एक माध्यम में चल रही प्रकाश की किरणें किसी सतह से टकराकर उसी माध्यम में वापस लौट आती हैं तो कहा जाता है कि प्रकाश का परावर्तन हुआ है।
प्रकाश से सम्बंधित (Related) कुछ अद्भुद परिघटनाएं (Events)
- दर्पणों द्वारा प्रतिबिम्ब (Image) का बनना
- तारों का टिमटिमाना
- इन्द्रधनुष के सुन्दर रंग
- किसी माध्यम द्वारा किरणों को मोड़ना, जिसे हम अपवर्तन के नाम से जानेंगे
इन परिघटनाओं के बारे में हम आगे बातचीत करेंगे।
दर्पण और उनके प्रकार (Mirror and Its types)
1. समतल दर्पण (Plane Mirror)
समतल दर्पण एक चिकनी या अत्यधिक पॉलिश की गई सतह है जो प्रतिबिम्ब बनाने के लिए प्रकाश को परावर्तित करती है। जिस सतह से होकर प्रकाश की किरणें परावर्तित होती हैं, उसे परावर्तक पृष्ठ/सतह कहते हैं।
2. गोलीय दर्पण (Spherical Mirror)
ऐसे दर्पण जिनका परावर्तक सतह गोलीय होता है, गोलीय दर्पण (Spherical Mirror) कहलाते हैं। अर्थात् गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ अंदर या बहार की तरफ वक्रित (घुमा हुआ) होता है।
- वक्रता त्रिज्या - गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ जिस गोले का हिस्सा होता है उस गोले की त्रिज्या (Radius) को गोलीय दर्पण की वक्रता त्रिज्या कहते हैं, जिसे अक्षर ‘R’ से दर्शाते हैं।
- वक्रता केंद्र - गोलीय दर्पण का परावर्तक पृष्ठ जिस गोले का भाग होता है उसके केंद्र (Center) को गोलीय दर्पण का वक्रता केंद्र कहते हैं और इसे अक्षर ‘C’ से दर्शाते हैं।
- दर्पण का ध्रुव - गोलीय दर्पण के केंद्र (मध्य बिंदु) को दर्पण का ध्रुव (Pole) कहते हैं जिसे अक्षर ‘P’ से दर्शाया जाता है।
- प्रधान अक्ष - गोलीय दर्पण के ध्रुव और वक्रता केंद्र से गुजरने वाली सीधी रेखा को दर्पण का प्रधान/मुख्य अक्ष (Principal axis) कहते हैं।
- दर्पण का द्वारक - गोलीय दर्पण के परावर्तक पृष्ठ की वृत्ताकार सीमारेखा का व्यास, दर्पण का द्वारक (Aperture) कहलाता है।
गोलीय दर्पण दो प्रकार के होते हैं -
1. अवतल दर्पण (Concave Mirror)
वैसा गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ अन्दर/केंद्र की ओर वक्रित होता है, अवतल दर्पण (Concave Mirror) कहलाता है।
2. उत्तल दर्पण (Convex Mirror)
वैसा गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित होता है, उत्तल दर्पण (Convex Mirror) कहलाता है।
प्रकाश से सम्बंधित परिघटनाएँ (Events Related to Light)
- प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)
- प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light)
1. प्रकाश का परावर्तन (Reflection of Light)
प्रकाश किरणों का किसी परावर्तक पृष्ठ से टकराकर वापस लौटने की घटना को परावर्तन कहते हैं। ये किरणें परावर्तन के दौरान (के समय) कुछ नियमों का पालन करती हैं, जिन्हें परावर्तन का नियम कहते हैं।
प्रकाश के परावर्तन के नियम (Laws of Reflection of Light)
- आपतित किरण, परावर्तित किरण और दर्पण के आपतन बिंदु पर अभिलंब तीनों एक ही तल (Plane) में होते हैं।
- आपतन कोण सदैव (Always) परावर्तन कोण के बराबर होता है। (i = r)
- आपतित किरण (Incident Ray) – परावर्तक पृष्ठ की ओर आने वाली किरणें
- परावर्तित किरण (Reflected Ray) – परावर्तन के पश्चात् पृष्ठ से दूर जाने वाली किरणें
- अभिलंब (Normal) – परावर्तक पृष्ठ पर लम्बवत रेखा
- आपतन बिंदु (Point of Incidence) – परावर्तक पृष्ठ पर वह बिंदु, जिस पर अभिलंब बनाया जाता है
- आपतन कोण (i) (Angle of Incidence) – आपतित कोण और अभिलंब के बीच का कोण
- परावर्तन कोण (r) (Angle of Reflection) – परावर्तन कोण और अभिलंब के बीच का कोण
Note:
बिम्ब/वस्तु (Object) –- आपतित किरणें जिस स्रोत से आती हैं या आती हुई प्रतीत होती हैं, उसे बिम्ब कहते हैं।
प्रतिबिम्ब / छवि (Image) – बिम्ब से आने वाली किरणें पृष्ठ से परावर्तन या अपवर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती हैं या मिलती हुई प्रतीत (Feel) होती हैं, उसे प्रतिबिम्ब कहते हैं।
समतल दर्पण द्वारा बने प्रतिबिम्ब (Image) की विशेषताएं –
- प्रतिबिम्ब हमेशा सीधा (Erect) बनता है
- प्रतिबिम्ब आभासी/काल्पनिक (Virtual) होता है
- प्रतिबिंब का आकार (Size), बिम्ब (Object) के आकार के बराबर होता है
- दर्पण से प्रतिबिम्ब की दूरी और दर्पण से बिम्ब की दूरी दोनों बराबर होती हैं
- प्रतिबिम्ब पार्श्व परिवर्तित होती है
वास्तविक प्रतिबिम्ब और आभासी प्रतिबिम्ब में अंतर
विशेषता | वास्तविक प्रतिबिम्ब | आभासी प्रतिबिम्ब |
---|---|---|
परिभाषा | बिम्ब से निकली हुई किरण पुंज परावर्तन/ अपवर्तन के बाद जिस बिंदु पर मिलती है, उसे वास्तविक प्रतिबिम्ब कहते हैं। | बिम्ब से निकली हुई किरण पुंज परावर्तन/ अपवर्तन के बाद जिस बिंदु से अपसृत होती हुई (फैलती हुई) प्रतीत होती है उसे आभासी प्रतिबिम्ब कहते हैं। |
पर्दे पर उतरा जा सकता है | हाँ | नहीं |
उल्टा या सीधा | हमेशा उल्टा | हमेशा सीधा |
अवतल दर्पण और उत्तल दर्पण में अंतर
विशेषता | अवतल दर्पण | उत्तल दर्पण |
---|---|---|
परिभाषा | वैसा गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ अन्दर/केंद्र की ओर वक्रित होता है, अवतल दर्पण कहलाता है। | वैसा गोलीय दर्पण जिसका परावर्तक पृष्ठ बाहर की ओर वक्रित होता है,अवतल दर्पण कहलाता है। |
परावर्तक पृष्ठ | अंदर की ओर वक्रित | बाहर की ओर वक्रित |
प्रतिबिम्ब की प्रकृति | वास्तविक या आभासी | आभासी |
प्रतिबिम्ब का आकार | आकार वस्तु के आकार पर निर्भर करता है | हमेशा आकार में छोटा होता है |
प्रतिबिम्ब की स्थिति | फोकस और वक्रता केन्द्र के बीच, यदि वस्तु फोकस और ध्रुव के बीच है, तो प्रतिबिम्ब वास्तविक होता है, अन्यथा आभासी होता है | सदैव वस्तु के पीछे होता है |
उपयोग | फोटोग्राफी, दूरबीन, माइक्रोस्कोप, आदि में उपयोग किया जाता है | हेडलैम्प, वाहनों के साइड मिरर, आदि में उपयोग किया जाता है |
Key Points
- फोकस (F) - प्रधान अक्ष के समान्तर आने वाली किरणें परावर्तन के बाद जिस बिंदु से गुजरती हैं या गुजरती हुई प्रतीत होती हैं, उसे फोकस (F) कहते हैं।
- फोकस दूरी (f) - ध्रुव और फोकस के बिच की दूरी को फोकस दूरी (f) कहते हैं।
- फोकस दूरी (f), वक्रता त्रिज्या (R) की आधी होती है अर्थात् f=R/2
किरण आरेख में अत्यंत उपयोगी चार प्रधान किरणें -
- दर्पण के ध्रुव (P) पर आपतित किरण जितने कोण पर आती है, परावर्तन के बाद उतने ही कोण से लौट जाती हैं।
- प्रधान अक्ष के समान्तर आने वाली किरणें परावर्तन के बाद फोकस से गुजरती हैं या गुजरती हुई प्रतीत होती हैं।
- जो किरणें फोकस से आती हैं या आती हुई प्रतीत होती हैं, वो परावर्तन के बाद मुख्य अक्ष के समान्तर चली जाती हैं।
- जो किरणें वक्रता केंद्र (C) से आती हैं या आती हुई प्रतीत होती हैं, वो परावर्तन के बाद उसी रास्ते से लौट जाती हैं।
1. अवतल दर्पण द्वारा बिम्ब की अलग-अलग स्तिथियों के लिए बने प्रतिबिम्ब और उनकी विशेषताएँ -
बिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब का आकार | प्रतिबिम्ब की प्रकृति |
---|---|---|---|
अनंत पर | फोकस पर | अत्यंत छोटा (बिंदु की तरह) | वास्तविक एवं उल्टा |
C से परे | फोकस तथा C के बिच | छोटा | वास्तविक एवं उल्टा |
C पर | C पर | बिम्ब के समान आकार का | वास्तविक एवं उल्टा |
C तथा F के बीच | C से परे | आवर्धित (बड़ा) | वास्तविक एवं उल्टा |
F पर | अनंत पर | अत्यधिक आवर्धित | वास्तविक एवं उल्टा |
P तथा F के बीच | दर्पण के पीछे | आवर्धित (बड़ा) | आभासी एवं सीधा |
2. उत्तल दर्पण द्वारा बिम्ब की अलग-अलग स्तिथियों के लिए बने प्रतिबिम्ब और उनकी विशेषताएँ -
बिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब का आकार | प्रतिबिम्ब की प्रकृति |
---|---|---|---|
अनंत पर | दर्पण के पीछे F पर | अत्यंत छोटा (बिंदु की तरह) | आभासी एवं सीधा |
अनंत एवं P के बीच | दर्पण के पीछे P एवं F के बीच | छोटा | आभासी एवं सीधा |
अवतल तथा उत्तल दर्पण के उपयोग -
A. अवतल दर्पण
- वाहनों के अग्रदीपों (Headlights), टॉर्च और सर्चलाइट में प्रकाश की शक्तिशाली समान्तर किरण पुंज प्राप्त करने के लिए।
- चेहरे का बड़ा प्रतिबिम्ब देखने के लिए शेविंग दर्पणों (Shaving Mirror) के रूप में।
- दन्त विशेषज्ञ (Dental Specialist) अवतल दर्पणों का उपयोग मरीजों के दातों का बड़ा प्रतिबिम्ब देखने के लिए करते हैं।
- अवतल दर्पणों का उपयोग सौर भट्ठियों में सूर्य के प्रकाश को एक जगह पर इकठ्ठा करने के लिए भी करते हैं।
B. उत्तल दर्पण
- वाहनों में पश्य-दृश्य (Wing) के रूप में।
- सड़कों पर लगे बल्ब के ऊपर परावर्तक के रूप में।
चिन्ह परिपाटी
- बिम्ब को हमेशा दर्पण के बाई ओर रखते हैं, अर्थात् बिम्ब से आने वाली किरणे दर्पण पर हमेशा बाई ओर से आएँगी।
- मुख्य अक्ष के समान्तर सभी दूरियां ध्रुव से मापी जाती हैं।
- मुख्य अक्ष के लम्बवत ऊपर की ओर दूरियों को + तथा नीचे की ओर दूरियों को – लेते हैं।
- X'-अक्ष की ओर मापी गई दूरियों को – तथा X-अक्ष की ओर मापी गई दूरियों को + मानी जाती हैं।
दर्पण सूत्र (Mirror Formula) तथा आवर्धन (Magnification)
1/v+1/u=1/f (दर्पण सूत्र) तथा m=h'/h=-v/u (आवर्धन सूत्र)
शब्द | English | चिन्ह |
---|---|---|
बिम्ब दूरी | Object Distance | u |
प्रतिबिम्ब दूरी | Image Distance | v |
फोकस दूरी | Focal Length | f |
आवर्धन | Magnification | m |
बिम्ब की ऊंचाई | Height of Object | h |
प्रतिबिम्ब की ऊंचाई | Height of Image | h' |
NOTE: m के मानों के लिए प्रतिबिम्ब की प्रकृति –
- अगर m>0 तो प्रतिबिम्ब सीधा बनता है।
- अगर m<0 तो प्रतिबिम्ब उल्टा बनता है।
- अगर |m|>1 तो प्रतिबिम्ब आवर्धित होगा।
- अगर |m|<1 तो प्रतिबिम्ब छोटा होगा।
प्रकाश का अपवर्तन (Refraction of Light)
जब प्रकाश किरणें जब एक माध्यम (Medium) से दूसरे माध्यम में प्रवेश (Enter) करती हैं तो ये किरणें अपनी वास्तविक मार्ग (Actual Path) से थोड़ी विचलित (Deviate) हो जाती हैं। एक माध्यम से दूसरे में प्रवेश के कारण प्रकाश किरणों का अपने मार्ग से विचलित होना ही अपवर्तन कहलाता है।
अपवर्तन के नियम (Laws of Refraction)
- आपतित किरण, दोनों माध्यमों को अलग करने वाले सतह के आपतन बिंदु पर अभिलम्ब तथा अपवर्तित किरण तीनों एक ही तल में होते हैं।
- प्रकाश के किसी निश्चित रंग तथा निश्चित माध्यमों के जोड़े के लिए आपतन कोण (i) की ज्या (sine) और अपवर्तन कोण (r) की ज्या का अनुपात (Ratio) हमेशा स्थिर (समान) रहता है। अर्थात् , sini/sinr =स्थिरांक (Constant). इसे स्नेल का नियम भी कहते हैं। यह नियम 0°<i<90° के लिए ही सत्य है।
दूसरे माध्यम का पहले माध्यम के सापेक्ष (Relative) अपवर्तनांक का मान भी इसी स्थिरांक के बराबर होता है।
अपवर्तनांक
1. n21 (माध्यम 2 का माध्यम 1 के सापेक्ष अपवर्तनांक)= (माध्यम 1 में प्रकाश की चाल (v1))/(माध्यम 2 में प्रकाश की चाल (v2) )
# यदि माध्यम 1 निर्वात/वायु है तो माध्यम 2 का निर्वात के सापेक्ष अपवर्तनांक को निरपेक्ष अपवर्तनांक कहते हैं। जिसे केवल n2 से दर्शाते हैं। किसी माध्यम के निरपेक्ष अपवर्तनांक को ही अपवर्तनांक nm कहते हैं।
nm= (वायु में प्रकाश की चाल (c))/(माध्यम में प्रकाश की चाल (v))
# जल का अपवर्तनांक = 1.33
2. n12 (माध्यम 1 का माध्यम 2 के सापेक्ष अपवर्तनांक)= (माध्यम 2 में प्रकाश की चाल (v2))/(माध्यम 1 में प्रकाश की चाल (v1) )
गोलीय लेंस (Spherical Lens)
दो गोलीय पृष्ठों से घिरे हुए किसी पारदर्शी माध्यम को लेंस (Lens) कहते हैं जिसका कम से कम एक पृष्ठ गोलीय होता है।
लेंस का वक्रता केंद्र - ये दोनों पृष्ठ किसी न किसी गोले का हिस्सा होते हैं। इन गोलों के केन्द्रों को लेंस का वक्रता केंद्र C1 और C2 कहते हैं।
मुख्य अक्ष - लेंस के दोनों केन्द्रों से जाने वाली काल्पनिक सीधी रेखा को मुख्य अक्ष कहते हैं।
प्रकाशिक केंद्र (Optical Center) - लेंस के मध्य बिंदु को प्रकाशिक केंद्र (Optical Center) कहते हैं जिसे ‘O’ से निरुपित करते हैं।
लेंस के प्रकाशिक केंद्र से जाने वाली किरणें बिना किसी विचलन के निर्गत (अपवर्तित) हो जाती हैं।
मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली किरणें उत्तल लेंस से अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष पर एक बिंदु पर मिलती हैं, यह बिंदु उत्तल लेंस का मुख्य फोकस (F1 और F2) कहलाता है।
मुख्य अक्ष के समान्तर आने वाली किरणें अवतल लेंस से अपवर्तन के बाद मुख्य अक्ष पर एक बिंदु से फैलती हुईं प्रतीत होती हैं, यह बिंदु अवतल लेंस का मुख्य फोकस (F1 और F2) कहलाता है।
किसी लेंस की प्रकाशिक केंद्र से मुख्य फोकस तक की दूरी को फोकस दूरी (f) कहते हैं।
1.अभिसारी/उत्तल लेंस (Convex Lens)
ऐसे लेंसों के दोनों पृष्ठ बाहर की ओर उभरा होता है अर्थात् ये किनारों की अपेक्षा (की तुलना में) बिच में मोटा होता है। साथ ही यह लेंस किरणों को अभिसरित (एक बिंदु पर मिलाना) भी करती हैं, इसलिए इन्हें अभिसारी लेंस कहते हैं। ऐसे लेंसों को प्रायः उत्तल या द्वि-उत्तल लेंस भी कहते हैं।
2. अपसारी/अवतल लेंस (Concave Lens)
ऐसे लेंसों के दोनों पृष्ठ अन्दर की तरफ धंसा रहता है अर्थात् ये बीच की अपेक्षा किनारों में मोटा होता है। साथ ही यह लेंस किरणों को अपसारित (फैलाना) भी करती हैं, इसलिए इन्हें अपसारी लेंस कहते हैं। इन लेंसों को प्रायः अवतल या द्वि-अवतल लेंस भी कहते हैं।
1. उत्तल लेंस के कारण बने प्रतिबिम्ब की स्तिथि, आपेक्षिक साइज़ तथा प्रकृति -
बिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब का आकार | प्रतिबिम्ब की प्रकृति |
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अनंत पर | फोकस F2 पर | अत्यधिक छोटा (बिंदु आकार) | वास्तविक एवं उलटा |
C1 से परे | F2 तथा C2 के बिच | छोटा | वास्तविक एवं उलटा |
C1 पर | C2 पर | समान आकार | वास्तविक एवं उलटा |
F1 तथा C1 के बीच | C2 से परे | विवर्धित (बड़ा) | वास्तविक एवं उलटा |
फोकस F1 पर | अनंत पर | अत्यधिक विवर्धित | वास्तविक एवं उलटा |
फोकस F1 तथा प्रकाशिक केंद्र ‘O’ के बीच | लेंस से जिस तरफ बिम्ब है उसी तरफ | विवर्धित आभासी एवं सीधा |
2. अवतल लेंस के कारण बने प्रतिबिम्ब की स्तिथि, आपेक्षिक साइज़ तथा प्रकृति –
बिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब की स्थिति | प्रतिबिम्ब का आकार | प्रतिबिम्ब की प्रकृति |
---|---|---|---|
अनंत पर | फोकस F1 पर | अत्यधिक छोटा (बिंदु आकार) | आभासी एवं सीधा |
अनंत और लेंस के प्रकाशिक केंद्र ‘O’ के बीच | फोकस F1 और प्रकाशिक केंद्र ‘O’ के बीच | छोटा | आभासी एवं सीधा |
बिम्ब की स्थिति प्रतिबिम्ब की स्थिति प्रतिबिम्ब का साइज़ प्रतिबिम्ब की स्थिति
चिन्ह परिपाटी –
- उत्तल लेंस की फोकस दूरी (+) तथा अवतल लेंस की फोकस दूरी (-) मानी जाती है। बाकी नियमें दर्पणों वाली ही हैं।
- लेंस सूत्र: 1/v-1/u=1/f
- लेंस का आवर्धन: m= (प्रतिबिम्ब की ऊंचाई (h'))/(बिम्ब की ऊंचाई (h))=v/u
- लेंस की क्षमता (Power of Lens) – लेंस द्वारा प्रकाश किरणों को अपसरित (फ़ैलाने) या अभिसरित (एक जगह पर जमा) करने की मात्रा (Degree) को लेंस की क्षमता (P) के रूप में व्यक्त करते हैं। इसका SI मात्रक Dioptre (D) है।
- P=1/f [ जहाँ f मीटर में होना चाहिए]
- 1 डायोप्टर – 1 डायोप्टर उस लेंस की क्षमता है जिसकी फोकस दूरी 1m के बराबर होती है। {1D =1 m^(-1)}
- उत्तल लेंस की क्षमता (+) तथा अवतल लेंस की क्षमता (-) होती है।