Generation of Computer in Hindi: कंप्यूटर का शब्द लैटिन भाषा के शब्द computare से बना है, जिसका अर्थ है गणना करना। कंप्यूटर एक ऐसी मशीन है, जो दिए गए डेटा को प्रोसेस करके उसका आउटपुट देती है। कंप्यूटर का इतिहास बहुत पुराना है, लेकिन आधुनिक कंप्यूटर का विकास 20वीं सदी में हुआ है। आज के इस आर्टिकल में हम कंप्यूटर की पीढ़ियां (Generation of Computer in Hindi) के बारे में विस्तार से जानेंगे।
1st to 5th Generation of Computer in Hindi - कंप्यूटर की पीढ़ियां
Generation of Computer in Hindi (कंप्यूटर की पीढ़ियां) |
कंप्यूटर के विकास को विभिन्न पीढ़ियों में बांटा जा सकता है, जो निम्नलिखित हैं:
पीढ़ी | वर्ष | प्रमुख विशेषताएं | उदाहरण |
---|---|---|---|
प्रथम | 1946-1956 | वैक्यूम ट्यूब, विशाल आकार, महंगे, सीमित कार्यक्षमता | ENIAC, UNIVAC I |
द्वितीय | 1956-1964 | ट्रांजिस्टर, छोटे आकार, कम महंगे, बेहतर कार्यक्षमता | IBM 1401, UNIVAC II |
तृतीय | 1964-1971 | इंटीग्रेटेड सर्किट, और भी छोटे आकार, और भी कम महंगे, और भी बेहतर कार्यक्षमता | PDP-8, IBM 360 |
चतुर्थ | 1971-1985 | माइक्रोप्रोसेसर, व्यक्तिगत कंप्यूटर, व्यापक रूप से उपलब्ध, विभिन्न प्रकार के अनुप्रयोगों के लिए उपयोग किया जाता है | Apple II, IBM PC |
पंचम | 1985 से अब तक | कृत्रिम बुद्धिमत्ता, क्वांटम कंप्यूटिंग, इंटरनेट, वैश्विक संचार | मोबाइल डिवाइस, क्लाउड कंप्यूटिंग |
First Generation of Computer in Hindi (1940-1956)
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर (First Generation of Computer in Hindi) में वैक्यूम ट्यूब का इस्तेमाल किया जाता था। वैक्यूम ट्यूब एक ऐसा डिवाइस है, जो एलेक्ट्रॉन को एक टर्मिनल से दूसरे टर्मिनल तक भेजता है। इससे बूलियन लॉजिक और अंकगणित के ऑपरेशन किए जा सकते हैं।
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर के कुछ उदाहरण हैं (Examples of First Generation of Computer):
- ENIAC (Electronic Numerical Integrator and Computer): यह दुनिया का पहला इलेक्ट्रॉनिक कंप्यूटर था, जो 1946 में बनाया गया था। इसमें 18000 वैक्यूम ट्यूब थे, जो 200 किलोवाट की बिजली खर्च करते थे। इसका वजन 30 टन था, और इसकी स्पीड 5000 अंकों की गणना प्रति सेकंड थी।
- EDVAC (Electronic Discrete Variable Automatic Computer): यह 1952 में बनाया गया था, और इसमें बाइनरी नंबर सिस्टम का उपयोग किया गया था। इसमें 6000 वैक्यूम ट्यूब थे, जो 56 किलोवाट की बिजली खर्च करते थे। इसका वजन 8 टन था, और इसकी स्पीड 1000 अंकों की गणना प्रति सेकंड थी।
प्रथम पीढ़ी के कंप्यूटर की खामियां (Disadvantages of First Generation of Computer):
- ये बहुत बड़े और महंगे थे।
- ये बहुत ज्यादा गर्म होते थे, और अक्सर खराब हो जाते थे।
- ये बहुत अधिक शोर करते थे।
- ये बहुत कम मेमोरी रखते थे।
- ये एक ही कार्य को कर सकते थे, और उन्हें पंच कार्ड या टेप से प्रोग्राम करना पड़ता था।
Second Generation of Computer in Hindi (1956-1963)
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर (Second Generation of Computer in Hindi) में ट्रांजिस्टर का इस्तेमाल किया जाता था। ट्रांजिस्टर एक ऐसा डिवाइस है, जो वैक्यूम ट्यूब की तरह एलेक्ट्रॉन को नियंत्रित करता है, लेकिन यह छोटा, सस्ता, तेज, और तिकाऊ होता है। इससे कंप्यूटर का आकार, लागत, और बिजली की खपत कम हुई, और उनकी स्पीड और मेमोरी बढ़ी।
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर के कुछ उदाहरण हैं (Examples of Second Generation of Computer):
- UNIVAC 1108: यह 1958 में बनाया गया था, और यह एक व्यावसायिक कंप्यूटर था। इसमें 4000 से 6000 ट्रांजिस्टर थे, जो 1.5 किलोवाट की बिजली खर्च करते थे। इसका वजन 2.5 टन था, और इसकी स्पीड 1.3 मिलियन ऑपरेशन प्रति सेकंड थी।
- IBM 7094: यह 1962 में बनाया गया था, और यह एक वैज्ञानिक कंप्यूटर था। इसमें 50000 ट्रांजिस्टर थे, जो 25 किलोवाट की बिजली खर्च करते थे। इसका वजन 4 टन था, और इसकी स्पीड 100000 ऑपरेशन प्रति सेकंड थी।
- CDC 1604: यह 1960 में बनाया गया था, और यह एक वैज्ञानिक कंप्यूटर था। इसमें 60000 ट्रांजिस्टर थे, जो 56 किलोवाट की बिजली खर्च करते थे। इसका वजन 5 टन था, और इसकी स्पीड 100000 ऑपरेशन प्रति सेकंड थी।
दूसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की खामियां (Disadvantages of Second Generation of Computer):
- ये अभी भी बहुत बड़े और भारी थे, और उन्हें एक विशेष कमरे में रखना पड़ता था।
- ये अभी भी बहुत ज्यादा गर्म होते थे, और उन्हें ठंडा करने के लिए एयर कंडीशनर की जरूरत पड़ती थी।
- ये अभी भी बहुत ज्यादा बिजली खर्च करते थे, और उन्हें अलग-अलग वोल्टेज की बिजली की आवश्यकता होती थी।
- ये अभी भी एक ही कार्य को कर सकते थे, और उन्हें पंच कार्ड या टेप से प्रोग्राम करना पड़ता था।
- ये अभी भी बहुत कम मेमोरी रखते थे, और उनकी मेमोरी अक्सर खराब हो जाती थी।
Third Generation of Computer in Hindi (1964-1971)
कंप्यूटर की तीसरी पीढ़ि का विकास 1964 से 1971 के बीच हुआ था। इस पीढ़ि के कंप्यूटरों में ट्रांजिस्टर की जगह इंटीग्रेटेड सर्किट (IC) का उपयोग किया गया था। IC में कई ट्रांजिस्टर एक ही चिप पर लगाए जाते थे, जिससे कंप्यूटर का आकार, लागत, और बिजली की खपत कम हुई, और उनकी स्पीड और मेमोरी बढ़ी। इस पीढ़ि के कंप्यूटरों में ऑपरेटिंग सिस्टम, ग्राफिकल यूजर इंटरफेस, नेटवर्किंग का उपयोग शुरू हुआ।
तीसरी पीढ़ि के कंप्यूटरों के कुछ उदाहरण हैं (Examples of Third Generation of Computer):
- IBM 360: यह 1964 में बनाया गया था, और यह एक व्यावसायिक और वैज्ञानिक कंप्यूटर था। इसमें 6000 से 250000 ट्रांजिस्टर थे, जो 50 वॉट से 8 किलोवाट की बिजली खर्च करते थे। इसका वजन 5 टन से 40 टन तक था, और इसकी स्पीड 0.0015 से 0.034 मिलियन ऑपरेशन प्रति सेकंड थी।
- PDP-8: यह 1965 में बनाया गया था, और यह एक मिनीकंप्यूटर था। इसमें 2500 ट्रांजिस्टर थे, जो 160 वॉट की बिजली खर्च करते थे। इसका वजन 300 किलोग्राम था, और इसकी स्पीड 0.3 मिलियन ऑपरेशन प्रति सेकंड थी।
- DEC VAX: यह 1977 में बनाया गया था, और यह एक 32-बिट कंप्यूटर था। इसमें 200000 ट्रांजिस्टर थे, जो 1.5 किलोवाट की बिजली खर्च करते थे। इसका वजन 200 किलोग्राम था, और इसकी स्पीड 1 मिलियन ऑपरेशन प्रति सेकंड थी।
तीसरी पीढ़ी के कंप्यूटर की खामियां (Disadvantages of Third Generation of Computer):
- ये अभी भी बहुत ज्यादा गर्म होते थे, और उन्हें ठंडा करने के लिए एयर कंडीशनर की जरूरत पड़ती थी।
- ये अभी भी एक ही कार्य को कर सकते थे, और उन्हें पंच कार्ड या टेप से प्रोग्राम करना पड़ता था।
- ये अभी भी बहुत ज्यादा बिजली खर्च करते थे, और उन्हें अलग-अलग वोल्टेज की बिजली की आवश्यकता होती थी।
- ये अभी भी बहुत जटिल और महंगे थे, और उन्हें बनाने, चलाने, और मरम्मत करने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत होती थी।
- ये अभी भी बहुत कम मेमोरी रखते थे, और उनकी मेमोरी अक्सर खराब हो जाती थी।
Fourth Generation of Computer in Hindi (1971-1980)
कंप्यूटर की चौथी पीढ़ि का विकास 1971 से 1980 के बीच हुआ था। इस पीढ़ि के कंप्यूटरों में माइक्रोप्रोसेसर का इस्तेमाल किया गया था। माइक्रोप्रोसेसर एक ऐसा डिवाइस है, जो कई इंटीग्रेटेड सर्किट को एक ही चिप पर जोड़ता है। इससे कंप्यूटर का आकार, लागत, और बिजली की खपत कम हुई, और उनकी स्पीड और मेमोरी बढ़ी। इस पीढ़ि के कंप्यूटरों में ऑपरेटिंग सिस्टम, ग्राफिकल यूजर इंटरफेस, नेटवर्किंग, और C Language जैसे विभिन्न प्रोग्रामिंग लैंग्वेज का उपयोग शुरू हुआ।
चौथी पीढ़ि के कंप्यूटरों के कुछ उदाहरण हैं (Examples of Fourth Generation of Computer):
- IBM PC: यह 1981 में बनाया गया था, और यह एक पर्सनल कंप्यूटर था। इसमें 8088 माइक्रोप्रोसेसर था, जो 5 वॉट की बिजली खर्च करता था। इसका वजन 12 किलोग्राम था, और इसकी स्पीड 0.33 मिलियन ऑपरेशन प्रति सेकंड थी।
- Apple Macintosh: यह 1984 में बनाया गया था, और यह एक पर्सनल कंप्यूटर था। इसमें 68000 माइक्रोप्रोसेसर था, जो 2.5 वॉट की बिजली खर्च करता था। इसका वजन 7.5 किलोग्राम था, और इसकी स्पीड 0.5 मिलियन ऑपरेशन प्रति सेकंड थी।
- Cray-1: यह 1976 में बनाया गया था, और यह एक सुपरकंप्यूटर था। इसमें 200000 ट्रांजिस्टर थे, जो 115 किलोवाट की बिजली खर्च करते थे। इसका वजन 5.5 टन था, और इसकी स्पीड 160 मिलियन ऑपरेशन प्रति सेकंड थी।
चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर की खामियां (Disadvantages of Fourth Generation of Computer):
- ये अभी भी बहुत ज्यादा गर्म होते थे, और उन्हें ठंडा करने के लिए एयर कंडीशनर की जरूरत पड़ती थी।
- ये अभी भी बहुत ज्यादा बिजली खर्च करते थे, और उन्हें अलग-अलग वोल्टेज की बिजली की आवश्यकता होती थी।
- ये अभी भी बहुत कम मेमोरी रखते थे, और उनकी मेमोरी अक्सर खराब हो जाती थी।
- ये अभी भी बहुत जटिल और महंगे थे, और उन्हें बनाने, चलाने, और मरम्मत करने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत होती थी।
- ये अभी भी एक ही कार्य को कर सकते थे, और उन्हें पंच कार्ड या टेप से प्रोग्राम करना पड़ता था।
Fifth Generation of Computer in Hindi (1980 से अब तक)
कंप्यूटर की पांचवी पीढ़ि का विकास 1980 से अब तक चल रहा है। इस पीढ़ि के कंप्यूटरों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग किया जाता है। AI का मतलब है कि कंप्यूटर इंसानों की तरह सोच, समझ, और सीख सकते हैं। इस पीढ़ि के कंप्यूटरों में वायरलेस तकनीक, एक्सेलरेटेड कंप्यूटिंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, और क्राउड कंप्यूटिंग जैसी नई तकनीकों का भी उपयोग होता है।
पांचवी पीढ़ि के कंप्यूटरों के कुछ उदाहरण हैं (Examples of Fifth Generation of Computer):
- डेस्कटॉप: यह एक पर्सनल कंप्यूटर है जो एक मेज पर रखा जाता है। इसमें एक मॉनिटर, एक कीबोर्ड, एक माउस, और एक सीपीयू होता है। इसकी स्पीड और मेमोरी बहुत अच्छी होती है।
- लैपटॉप: यह एक पोर्टेबल कंप्यूटर है जो आप अपने साथ ले जा सकते हैं। इसमें एक मॉनिटर, एक कीबोर्ड, एक माउस, और एक सीपीयू एक ही यूनिट में होते हैं। इसकी बैटरी लाइफ और वजन कम होते हैं।
- नोटबुक: यह एक छोटा और हल्का कंप्यूटर है जो आप अपने हाथ में पकड़ सकते हैं। इसमें एक टचस्क्रीन, एक कीबोर्ड, और एक सीपीयू होते हैं। इसकी स्पीड और मेमोरी कम होती हैं।
- अल्ट्राबुक: यह एक नवीनतम प्रकार का लैपटॉप है जो बहुत पतला और हल्का होता है। इसमें एक मॉनिटर, एक कीबोर्ड, एक माउस, और एक सीपीयू होते हैं। इसकी स्पीड और मेमोरी बहुत अच्छी होती हैं।
पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर का खामियां (Disadvantages of Fifth Generation of Computer):
पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर का भी खामियां है, लेकिन वे चौथी पीढ़ी के कंप्यूटर की खामियों से कम हैं। पांचवी पीढ़ी के कंप्यूटर की कुछ आम खामियां निम्नलिखित हैं:
- ये अभी भी बहुत ज्यादा गर्म होते हैं, और उन्हें ठंडा करने के लिए एयर कंडीशनर की जरूरत पड़ती है।
- ये अभी भी बहुत ज्यादा बिजली खर्च करते हैं, और उन्हें अलग-अलग वोल्टेज की बिजली की आवश्यकता होती है।
- ये अभी भी बहुत जटिल और महंगे हैं, और उन्हें बनाने, चलाने, और मरम्मत करने के लिए विशेषज्ञों की जरूरत होती थी।
- ये अभी भी एक ही कार्य को कर सकते थे, और उन्हें पंच कार्ड या टेप से प्रोग्राम करना पड़ता था।
- ये अभी भी बहुत कम मेमोरी रखते थे, और उनकी मेमोरी अक्सर खराब हो जाती थी।
Generation of Computer (FAQs)
समाप्ति (Conclusion)
इस ब्लॉग में, हमने कंप्यूटर की पीढ़ियां (Generation of Computer in Hindi) के बारे में जाना है। हमने देखा कि कंप्यूटर का विकास कैसे हुआ है और कौन-कौन सी तकनीकों ने इसमें योगदान दिया है। हमने प्रत्येक पीढ़ी के कंप्यूटर की विशेषताएं, कमियां, उदाहरण और अनुप्रयोगों को समझा है। हमने यह भी जाना है कि कंप्यूटर की भविष्य की पीढ़ी कैसी हो सकती है और इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) का क्या भूमिका होगी।
आशा है कि आपको यह ब्लॉग पसंद आया होगा और आपको कंप्यूटर की पीढ़ियां (Generation of Computer in Hindi) के बारे में नई जानकारी मिली होगी। अगर आपके पास कोई प्रश्न या सुझाव है, तो आप हमें कमेंट बॉक्स में बता सकते हैं, हम आपके प्रश्नों का जवाब देने का प्रयास करेंगे। धन्यवाद!