Global Citizenship Education Semester 2 Syllabus, Notes, Important Questions in Hindi [PDF] - Study Friend

Global Citizenship Education Semester 2 Syllabus, Notes, Important Questions in Hindi [PDF]

यहाँ हम वैश्विक नागरिकता शिक्षा (Global Citizenship Education) सेमेस्टर 2 का सिलेबस, नोट्स और महत्वपूर्ण प्रश्नों की पीडीएफ शेयर करेंगे।

यहाँ हम वैश्विक नागरिकता शिक्षा (Global Citizenship Education) सेमेस्टर 2 का सिलेबस, नोट्स और महत्वपूर्ण प्रश्नों की पीडीएफ शेयर करेंगे। परीक्षा की दृष्टि से यह विषय महत्वपूर्ण और अनिवार्य है। इसके अलावे यह विषय एक बेहतर वैश्विक नागरिक बनने में मदद करता है, जो एक समृद्ध और शांत समाज के लिए जरुरी है।

आशा है कि यह पोस्ट आपको पसंद आएगा और "Global Citizenship Education Semester 2 Syllabus, Notes, Important Questions in Hindi" के सारे प्रश्न हल होंगे।

Global Citizenship Education Semester 2 Syllabus, Notes, Important Questions in Hindi [PDF]
Global Citizenship Education Semester 2 Syllabus, Notes, Important Questions in Hindi [PDF]

Global Citizenship Education Semester 2 Syllabus

Unit 1: वैश्विक नागरिकता का अवधारणा (The Concept of Global Citizenship)
(a) वैश्विक नागरिकता का अर्थ (Meaning of Global Citizenship)
(b) एक वैश्विक नागरिक की विशेषताएँ (Attributes of a Global Citizen)
(c) वैश्विक नागरिकता को बढ़ावा देने वाले एजेंसियों (Agencies responsible for the promotion of Global Citizenship)
(d) वैश्विक नागरिकता को बढ़ावा देने में सिविल समाज का योगदान (Role of Civil Societies in the promotion of Global Citizenship)

Unit 2: सतत विकास (Sustainable Development)
(a) सतत विकास का मतलब और अवधारणा (Meaning and Concept of Sustainable Development)
(b) प्राकृतिक संसाधन संरक्षण (Natural resource conservation)
(c) सांस्कृतिक विविधता और सहिष्णुता (Cultural diversity and tolerance)
(d) जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव (Climate change and its impact)
(e) लिंग समानता और न्याय (Gender equality and justice)
(f) जनजातीय जीवन (Tribal way of living)

Unit 3: मानव अधिकार (Human Rights)
(a) मानव अधिकार का मतलब, व्यापकता और महत्व (Meaning, Scope and Significance in international perspective)
(b) मानव अधिकारों का ऐतिहासिक विकास (Historical evolution of Human Rights)
(c) मानव अधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा (Universal declaration of Human Rights)
(d) मानव अधिकारों के सामने प्रमुख चुनौतियां (Major challenges before Human Rights)

Unit 4: वैश्विक शांति (Global Peace)
(a) विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए योजना (Mechanism for the Peaceful Settlement of Disputes)
(b) शांति निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों (International Agencies responsible for Peace Building)
(c) गांधी: अहिंसा और विश्व शांति (Gandhi: Non Violence and world Peace)
(d) विश्व शांति के प्रोत्साहन के लिए भारतीय प्रयास (Indian efforts towards promotion of world peace)

Global Citizenship Education Semester 2 Notes in Hindi

Unit 1: वैश्विक नागरिकता का अवधारणा (The Concept of Global Citizenship)

(a) वैश्विक नागरिकता का अर्थ (Meaning of Global Citizenship)

वैश्विक नागरिकता (Global Citizenship) का अर्थ है वह भावना या धारणा जिसमें हम सभी मानव एक ही विश्व के नागरिक होने की पहचान रखते हैं। यह विश्ववादी दृष्टिकोण है जो हमें यह बताता है कि हम सभी एक ही धरती के निवासी हैं और और हमारे कर्तव्यों और जिम्मेदारियों की रक्षा करना हमारा धर्मं है।

वैश्विक नागरिकता के तहत, हमें समाज (विश्व) में सहयोग करने, समस्याओं का समाधान ढूंढने, अन्य धर्मों और समस्त मानव अधिकारों की रक्षा करने में भागीदारी रखनी चाहिए।

(b) एक वैश्विक नागरिक की विशेषताएँ (Attributes of a Global Citizen)

  1. सहकारिता: वैश्विक नागरिक में यह विशेषता होनी ही चाहिए। इसका अर्थ है कि वह व्यक्ति जो समाज के सभी सदस्यों के साथ मिलकर काम करता है, भलाई के लिए सही मार्ग ढूंढने में मददगार होता है।
  2. समझौता: वह गुण जिसमें व्यक्ति विभिन्न समाजों, धर्मों, जातियों और संस्कृतियों के साथ सहिष्णुता और समझौता का आदान-प्रदान करता है।
  3. संवेदनशीलता: वह व्यक्ति जो दुनिया भर में होने वाली समस्याओं और पीड़ित लोगों पर ध्यान देता है और उनके समाधान के लिए योजना और समर्थन प्रदान करता है।
  4. गैर-भेदभाव: वह व्यक्ति जो सभी मानवों को अधिकारों, समानता, और न्याय की दृष्टि से देखता है और उनका समर्थन करता है, चाहे व्यक्ति किसी धर्म, जाति, देश आदि से हो।

(c) वैश्विक नागरिकता को बढ़ावा देने वाले एजेंसिया (Agencies responsible for the promotion of Global Citizenship)

वैश्विक नागरिकता को बढ़ावा देने वाले अधिकारिक और गैर-अधिकारिक एजेंसिया निम्नलिखित हैं:
  1. संयुक्त राष्ट्र (United Nations): संयुक्त राष्ट्र (UN) एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो वैश्विक समस्याओं का समाधान करने के लिए काम करता है, जैसे कि विकास, मानवाधिकार, शांति, और पर्यावरण। इसके अंतर्गत भी कई एजेंसियां हैं जो विभिन्न क्षेत्रों में काम करती हैं, जैसे कि यूनेस्को (UNESCO), यूनिसेफ (UNICEF), विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) आदि।
  2. गैर-सरकारी संगठन (NGOs): कई गैर-सरकारी संगठन वैश्विक समस्याओं के समाधान के लिए काम करते हैं। ये संगठन अपने क्षेत्र में सहायता प्रदान करते हैं, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, जल संरक्षण, मानवाधिकार आदि। कुछ उदाहरण हैं: ग्रीनपीस, अमनेस्टी इंटरनेशनल, ओक्सफाम, रेड क्रॉस, आदि।
  3. शिक्षा संस्थान: शिक्षा संस्थान भी वैश्विक नागरिकता को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण कारक होते हैं। वे वैश्विक नागरिकता और समरसता के मूल धारणाओं, मूल्यों, और शिक्षा प्रणालियों को बढ़ावा देते हैं।

(d) वैश्विक नागरिकता को बढ़ावा देने में सिविल समाज का योगदान (Role of Civil Societies in the promotion of Global Citizenship)

सिविल समाज (Civil Society) वैश्विक नागरिकता को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यहां कुछ मुख्य बातें दिए गए हैं जो सिविल समाज के योगदान को समझने में मदद कर सकते हैं:
  1. सामाजिक जागरूकता और शिक्षा: सिविल समाज विभिन्न जनसाधारण के बीच वैश्विक नागरिकता के महत्व को बताते है। यह लोगों को विशेष विषयों पर शिक्षित करता है, जैसे कि मानवाधिकार, सांस्कृतिक समृद्धि, और पर्यावरण संरक्षण, और उन्हें समाज के समस्याओं के समाधान के लिए प्रेरित करता है।
  2. अनुशासन: सिविल समाज अक्सर समस्याओं के समाधान के लिए संगठित होता है और आवश्यक बदलाव के लिए आवाज उठाता है। यह सरकारों और अन्य संगठनों के साथ मिलकर वैश्विक नागरिकता के मूल्यों को स्थापित करने के लिए काम करता है।
  3. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: सिविल समाज अलग-अलग देशों के बीच सहयोग करके वैश्विक समस्याओं का समाधान ढूंढने में मदद करता है।
  4. समरस संगठन: सिविल समाज विभिन्न समुदायों और समाजों को एकजुट करके विश्व समृद्धि और समानता की दिशा में काम करता है। यह समरसता, सहिष्णुता और सामाजिक न्याय को प्रोत्साहित करता है जो एक स्थिर और समृद्ध वैश्विक समाज की नींव हो सकती है।

Unit 2: सतत विकास (Sustainable Development)

(a) सतत विकास का अर्थ और अवधारणा (Meaning and Concept of Sustainable Development)

सतत विकास (Sustainable Development) का अर्थ है ऐसा विकास जो प्राकृतिक संसाधनों का उचित और योजनापूर्ण उपयोग करते हुए मानवीय जरूरतों को पूरा करे, और साथ ही आने वाली पीढ़ियों के लिए भी संभावित हो। इसका अर्थ है कि हमारे विकास के प्रक्रिया और उत्पादन के तरीके ऐसे होने चाहिए जो प्रकृति, समाज, और अर्थव्यवस्था के संतुलन को बनाये रखें।

सतत विकास की अवधारणा में तीन मुख्य तत्व होते हैं:
  1. प्राकृतिक संतुलन: सतत विकास में प्राकृतिक संसाधनों का संतुलित और योजनाबद्ध उपयोग होना चाहिए, ताकि भविष्य की पीढ़ियाँ के लिए पर्याप्त संसाधन बचें।
  2. सामाजिक समानता: सतत विकास के प्रसार में सामाजिक और आर्थिक समानता का ध्यान रखना आवश्यक है। यह समाज के सभी वर्गों को विकास की संभावनाएं प्रदान करता है।
  3. आर्थिक विकास: सतत विकास में आर्थिक प्रगति का अर्थ है कि हम विकास के प्रक्रिया में अधिकांश लोगों को आर्थिक रूप से समृद्धि मिले, और उन्हें आर्थिक दृष्टि से सशक्त बनाए।

(b) प्राकृतिक संसाधन संरक्षण (Natural resource conservation)

प्राकृतिक संसाधन संरक्षण (Natural Resource Conservation) का अर्थ है प्राकृतिक संसाधनों की धारा और संतुलन को बनाए रखना। इसमें किसी भी प्राकृतिक संसाधन जैसे कि जल, वनस्पति, वन, जलवायु, मिट्टी, खनिज, और वन्यजीव सहित सभी प्रकार के संसाधनों को सुरक्षित और प्रबंधित किया जाता है।

प्राकृतिक संसाधन संरक्षण का महत्व:
  • प्राकृतिक संसाधन, जैसे कि जल, वायु, मिट्टी, खनिज और वनस्पतियां, जीवन के लिए आवश्यक हैं। वे हमें भोजन, पानी, आश्रय, ऊर्जा और अन्य जरुरी वस्तुएं प्रदान करते हैं। प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण महत्वपूर्ण है क्योंकि वे सीमित हैं और नवीकरणीय नहीं हैं।
  • प्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से वन्यजीवों, पक्षियों, और पौधों के जीवन की संभावना बढ़ती है, जिससे बायोडाइवर्सिटी और प्राकृतिक संसाधनों की विविधता बनी रहती है। यह भी अनुकूल जीवन के लिए आवश्यक है।

(c) सांस्कृतिक विविधता और सहिष्णुता (Cultural diversity and tolerance)

1. सांस्कृतिक विविधता:
  • सांस्कृतिक विविधता का अर्थ है कि एक समाज में विभिन्न जातियों, धर्मों, भाषाओं, और संस्कृतियों की विविधता को बनाये रखना।
  • यह समाज को उन्नति और समृद्धि की दिशा में आगे बढ़ाता है।
  • सांस्कृतिक विविधता के माध्यम से, हम अन्य समुदायों की भिन्नताओं को समझ सकते हैं और उनसे सीख सकते हैं।
2. सहिष्णुता:
  • सहिष्णुता का अर्थ है दूसरों के विभिन्न धार्मिक, सांस्कृतिक, और विचारों के प्रति समर्थन, सम्मान, और सहयोग करना।
  • यह अन्याय और असहिष्णुता के खिलाफ खड़ा होने का एक महत्वपूर्ण दृष्टिकोण है।
  • सहिष्णुता के माध्यम से हम अपने समुदाय में सामाजिक सद्भाव, सहयोग, और शांति की भावना को बढ़ावा देते हैं।

(d) जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव (Climate change and its impact)

1. जलवायु परिवर्तन का अर्थ:
  • जलवायु परिवर्तन एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिसमें पृथ्वी की जलवायु में देखी जाने वाली अस्थायी या दीर्घकालिक परिवर्तन होता है।
  • इसमें वायुमंडलीय गैसों में परिवर्तन, जैसे कि कार्बन डाइऑक्साइड (CO2) और मेथेन (CH4) के अत्यधिक मात्रा के कारण पृथ्वी की गर्मी बढ़ती है।
2. प्रमुख प्रभाव:
  • जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन के कारण कई हानिकारक परिवर्तन होते हैं, जैसे कि अतिरिक्त तापमान, अधिक वर्षा, और तूफानों की अधिक तीव्रता।
  • समुद्र स्तर की बढ़ोत्तरी: ग्लेशियरों और बर्फ के पिघलने के कारण समुद्र स्तर में बढ़ोत्तरी होती है, जिससे अन्य कई क्षेत्रों को खतरा होता है।
  • पर्यावरणीय प्रभाव: जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़, सूखा, और वायुमंडलीय त्रुटियाँ बढ़ती हैं, जिससे प्राकृतिक परिस्थितियों में अस्थिरता आती है।
  • खाद्य सुरक्षा: जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से खेती, प्राकृतिक संसाधनों की कमी, और बाढ़-सूखा की अत्यधिकता के कारण खाद्य सुरक्षा पर प्रभाव पड़ता है।
  • जीव जंतुओं के लिए खतरा: जलवायु परिवर्तन से जीव जंतुओं के जीवन की हानि होती है।
3. निवारण उपाय:
  • प्रदूषण कंट्रोल: उदाहरण के लिए, जलवायु परिवर्तन के कारणों में से एक प्रमुख कारक कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ोत्तरी है, इसे कम करने के लिए योजनाएं बनाना चाहिए।
  • अधिक नवाचार: नवाचारों, जैसे कि जलवायु संबंधी सशक्तिकरण, अधिक सुरक्षित और पर्यावरण के साथ अनुकूल ऊर्जा स्रोतों के विकास में निवेश करना एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
  • अनुकूल प्रणालियों का उपयोग: विकास योजनाओं में स्थानीय परिस्थितियों और पर्यावरणीय प्रभावों का ध्यान रखना होगा।

(e) लिंग समानता और न्याय (Gender equality and justice)

1. लिंग समानता:
  • लिंग समानता का अर्थ है पुरुषों और महिलाओं के बीच समानता और अधिकारों के समान अवसर।
  • इसका अर्थ है कि समाज में जनसांख्यिक समूहों के आधार पर विभाजन को समाप्त किया जाए, और सभी व्यक्तियों को समान अवसर और अधिकार प्राप्त हो।
2. न्याय का महत्व:
  • लिंग न्याय का महत्व व्यक्तियों को उनके अधिकारों का सम्मान करने और समान विकास की सुनिश्चिति करने में है।
  • यह महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य, और रोजगार के लिए समान अवसर प्रदान करता है, और उन्हें नियंत्रण और स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त होता है।

(f) जनजातीय जीवन (Tribal way of living)

1. समुदाय:
  • जनजातियों का जीवन सामुदायिक रूप से व्यवस्थित होता है।
  • वे अपने समुदाय के साथ संसाधनों का साझा, सांस्कृतिक मूल्यों, और सामाजिक प्रथाओं का समर्थन करते हैं।
2. आदिवासी संस्कृति:
  • आदिवासी समुदायों की अपनी विशेष संस्कृति और परंपराएं होती हैं, जिनमें गाने, नृत्य, और कथाएं शामिल होती हैं।
  • वे अपने धर्म, भाषा, और शैली को गर्व से मानते हैं।
3. प्राकृतिक जीवनशैली:
  • जनजातियों का जीवन प्राकृतिक होता है।
  • वे अपने परिवार के साथ गांवों या जंगलों में रहते हैं और प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग करते हैं।
4. समाजिक संरचना:
  • जनजातियों की सामाजिक संरचना में आदिवासी वंशानुगति, समानता, और साझेदारी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
  • समाज में प्रत्येक सदस्य को समान अधिकार और सम्मान मिलता है।
5. अर्थव्यवस्था:
  • जनजातियों की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से खेती और चरवाह गतिविधियों पर आधारित होती है।
  • वे प्राकृतिक संसाधनों का प्रबंधन करते हैं और सामुदायिक रूप से उनका उपयोग करते हैं।

Unit 3: मानव अधिकार (Human Rights)

(a) मानव अधिकार का अर्थ, व्यापकता और महत्व (Meaning, Scope and Significance in international perspective)

1. मानव अधिकार का अर्थ:
  • मानव अधिकार उन अधिकारों और स्वतंत्रताओं को व्यक्त करते हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को जन्म से ही प्राप्त होते हैं।
  • इन अधिकारों में जीवन, स्वतंत्रता, शिक्षा आदि सहित अन्य महत्वपूर्ण अधिकार शामिल हैं।
2. व्यापकता:
  • मानव अधिकार विश्व स्तर पर लागू होते हैं और सभी मानवों को समानता, न्याय, और सम्मान का अधिकार प्राप्त हैं।
  • ये अधिकार सरकारों, संस्थाओं, और समुदायों के साथ संबंधित होते हैं और सभी व्यक्तियों के लिए संरक्षित होते हैं।
3. महत्व:
  • मानव अधिकार मानवीय अस्तित्व और समाज के विकास के लिए बहुत जरुरी हैं।
  • ये समानता, न्याय, और स्वतंत्रता का मानक होते हैं जो सभी व्यक्तियों को अपने अधिकारों से अवगत कराते हैं।
  • मानव अधिकारों का पालन सामाजिक न्याय, सुरक्षा, और विकास को सुनिश्चित करने में मदद करता है।

(b) मानव अधिकारों का ऐतिहासिक विकास (Historical evolution of Human Rights)

1. प्राचीन इतिहास:
  • विभिन्न प्राचीन सभ्यताओं ने अपनी प्रथाओं में मानव अधिकारों को इनकार या उन्हें प्रकट नहीं किया।
  • कुछ सभ्यताओं में, शासकों का ही अधिपत्य था और जनता को केवल सेवा के लिए बाध्य था।
2. मध्ययुग:
  • मध्ययुग में, कुछ धार्मिक और राजनीतिक विचारधाराओं में मानव अधिकारों के बारे में सोचा गया।
  • लेकिन इस काल में भी, अधिकांश लोगों को अपने अधिकारों का पूर्ण ज्ञान नहीं था और उन्हें निरंकुश शासन की पीड़ा झेलनी पड़ती थी।
3. आधुनिक युग:
  • मानव अधिकारों का आधुनिक संवैधानिक और वैचारिक विकास आधुनिक काल के साथ हुआ।
  • 18वीं और 19वीं सदी में फ्रांसीसी क्रांति और अमेरिकी स्वतंत्रता संग्राम ने मानव अधिकारों के महत्व को प्रोत्साहित किया।
  • इसके बाद, संयुक्त राष्ट्र ने 1948 में 'मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा' की, जिससे आधुनिक काल में मानव अधिकार एक महत्वपूर्ण अवधारणा बनी।
4. आज के समय:
  • आज भी, कई जगहों पर मानव अधिकारों की समझ और प्रोत्साहन के लिए संगठनों, सरकारों, और समाज के संघर्ष जारी है।
  • लोगों के अधिकारों की सुरक्षा, समर्थन, और संरक्षण के लिए अब विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय कानून, नीतियाँ, और आयोग हैं।

(c) मानव अधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा (Universal declaration of Human Rights)

मानव अधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा (Universal Declaration of Human Rights, या UDHR) एक ऐतिहासिक दस्तावेज है जो 10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा स्वीकृत किया गया था। यह दस्तावेज मानवता के सभी व्यक्तियों के मूलभूत अधिकारों और स्वतंत्रताओं को प्रोत्साहित करता है।

मुख्य विशेषताएं:
  1. व्यापकता: UDHR में प्रत्येक मनुष्य को जीवन, स्वतंत्रता, और समानता के अधिकार प्राप्त है। इसका लाभ उन्हें बिना किसी भेदभाव के मिलना चाहिए, चाहे वह कहीं भी हों।
  2. अधिकारों की सूची: UDHR में 30 मानव अधिकारों की एक सूची दी गई है, जिनमें जीवन, स्वतंत्रता, और समानता के अधिकार शामिल हैं।
  3. उद्देश्य: UDHR का मुख्य उद्देश्य है मानव समाज में सभी व्यक्तियों के मौलिक अधिकारों को स्थापित करना और सुनिश्चित करना कि इन अधिकारों का पालन हो।
  4. प्रमाणीकरण: UDHR को विश्वभर में मान्यता प्राप्त है, और यह एक सामान्य मानक के रूप में स्वीकार किया गया है।

(d) मानव अधिकारों के सामने प्रमुख चुनौतियां (Major challenges before Human Rights)

  1. विविधता और असमानता: अनेक समाजों में, मानव अधिकार समान रूप से नहीं प्राप्त होता है, विशेष रूप से अल्पसंख्यक समुदायों के साथ।
  2. न्यायपालिका और शासन की अवहेलना: कई बार, सरकारें और न्यायपालिका मानव अधिकारों की उल्लंघन को रोकने में सक्षम नहीं होते हैं, जिससे अधिकारों का उल्लंघन होता है और अधिकारों का हनन होता है।
  3. संघर्ष क्षेत्रों में मानव अधिकारों की उल्लंघन: युद्ध, आतंकवाद, और अन्य संघर्ष क्षेत्रों में, मानव अधिकारों के उल्लंघन काफी सामान्य होते हैं।
  4. कुलीनता और द्वेष: विभिन्न समुदायों और धर्मों के बीच कुलीनता और द्वेष के कारण, मानव अधिकारों की उल्लंघन की स्थिति बढ़ती है।
  5. साइबर सुरक्षा और गोपनीयता: डिजिटल युग में, व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा और गोपनीयता बड़ी चुनौती है, जिससे लोगों के अधिकारों का हनन होता है।
  6. कड़ी कानूनी प्रणाली: कुछ समयों में, कड़ी कानूनी प्रणाली मानव अधिकारों को प्रोत्साहित नहीं करती, बल्कि उनका उल्लंघन करती है।
  7. अंधविश्वास: कुछ समाजों में, अंधविश्वास के कारण मानव अधिकारों को महत्त्व नहीं दिया जाता है, जिससे लोगों को अधिकारों से वंचित किया जाता है।

Unit 4: वैश्विक शांति (Global Peace)

(a) विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए योजना (Mechanism for the Peaceful Settlement of Disputes)

  1. डिप्लोमेसी: डिप्लोमेटिक सम्मेलन, बार्गनिंग, और संवाद के माध्यम से, देशों के बीच विवादों को समाधान किया जा सकता है।
  2. अंतरराष्ट्रीय संगठनों का सहयोग: संयुक्त राष्ट्र, विश्व व्यापी संगठन, और अन्य अंतर्राष्ट्रीय संगठन विवादों के समाधान में सहयोगी हो सकते हैं।
  3. अंतरराष्ट्रीय कानूनी निगरानी: अंतर्राष्ट्रीय कोर्ट और न्यायिक निकाय, विवादों के न्यायिक समाधान के लिए एक माध्यम हो सकते हैं।
  4. अराजकता के संरक्षण: विवादों के समय में, अन्य देशों और संगठनों को अराजकता की बढ़ती स्थिति को रोकने का प्रयास करना चाहिए।
  5. अपील की सुविधा: विवादों को न्यायिक या अन्य संस्थाओं में अपील की सुविधा प्रदान की जानी चाहिए, ताकि अन्याय के मामले में आवश्यक उपाय लिया जा सके।
  6. सहयोगी संबंध: देशों के बीच सहयोगी संबंध बनाए रखना विवादों को समाधान के लिए महत्वपूर्ण होता है।

(b) शांति निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों (International Agencies responsible for Peace Building)

  1. संयुक्त राष्ट्र (United Nations - UN): संयुक्त राष्ट्र विश्व शांति की संरक्षण, सामाजिक विकास, मानवाधिकारों की सुरक्षा, और संघर्ष क्षेत्रों में न्याय करने के लिए जाना जाता है।
  2. संयुक्त राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद (United Nations Security Council - UNSC): UNSC विश्व शांति और सुरक्षा को बनाए रखने और अंतरराष्ट्रीय विवादों के समाधान के लिए प्रमुख संगठन है।
  3. संयुक्त राष्ट्र के शांति संघटन (United Nations Peacekeeping Operations - UNPKO): ये मिशन विवाद क्षेत्रों में शांति और सुरक्षा को बनाए रखने में सहायक होते हैं, जैसे कि सीमा निरीक्षक, समाधानकारी, और समुदाय विकास के कार्यों में।
  4. अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (International Court of Justice - ICJ): ICJ विश्व शांति और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक समाधान प्रदान करता है।
  5. संयुक्त राष्ट्र के विकास कार्यक्रम (United Nations Development Programme - UNDP): UNDP संयुक्त राष्ट्रीय संगठनों के साथ काम करता है और सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक संघर्षों को समाधान करने के लिए विकास कार्यक्रम प्रदान करता है।
  6. संयुक्त राष्ट्र के बालकल्याण कोष (United Nations Children's Fund - UNICEF): UNICEF बाल और बच्चों की सुरक्षा, शिक्षा, और भोजन की उपलब्धता में सहायक होता है, जिससे शांति का मूल्य बढ़ता है।
  7. अंतर्राष्ट्रीय शांति संस्था (International Peace Institute - IPI): IPI शांति और सुरक्षा के लिए नीतियों और संशोधन की अनुसंधान करता है और अनुसंधान के आधार पर सलाह देता है।

(c) गांधी: अहिंसा और विश्व शांति (Gandhi: Non Violence and world Peace)

महात्मा गांधी ने अपने जीवन के दौरान अहिंसा और शांति के सिद्धांतों को प्रोत्साहित किया और इन्हें विश्व शांति के लिए महत्वपूर्ण माना। उनका दृष्टिकोण व्यक्तिगत, सामाजिक, और राजनीतिक स्तर पर शांति को स्थायी करने की ओर था।
  1. अहिंसा का सिद्धांत: गांधी ने सत्याग्रह के माध्यम से अहिंसा का सिद्धांत प्रचारित किया, जिसका अर्थ है कि उन्होंने विरोधी के खिलाफ न केवल हिंसा का विरोध किया, बल्कि शांतिपूर्ण और अहिंसात्मक राजनीतिक और सामाजिक आंदोलनों को भी प्रोत्साहित किया।
  2. धर्म और सामर्थ्य का मूल्य: गांधी ने अहिंसा को एक अद्वितीय शक्ति माना, जो समाज को संघर्षों और विवादों के माध्यम से निकाल सकती है। उन्होंने धर्म और सामर्थ्य को महत्वपूर्ण साधन माना जो शांति को स्थायी बनाने में मदद करते हैं।
  3. एकता की भावना: गांधी ने विभाजन, असामान्यता, और विवाद के स्थान पर समरसता, सामाजिक समानता, और एकता के सिद्धांतों को प्रोत्साहित किया। उन्होंने समाज में सहयोग और सामंजस्य की महत्वपूर्ण भूमिका को स्थापित किया।
  4. अंतरराष्ट्रीय समरसता: गांधी जी ने अंतरराष्ट्रीय समरसता के लिए विश्वभर में अहिंसा और शांति की भावना को फैलाया। उन्होंने विश्व समुदाय को एक साथ लाने और संघर्षों को शांतिपूर्ण रास्तों पर चलने के लिए प्रोत्साहित किया।

(d) विश्व शांति के प्रोत्साहन के लिए भारतीय प्रयास (Indian efforts towards promotion of world peace)

  1. भारत ने 49 शांति स्थापना मिशनों में अपनी भूमिका निभाई है। इन मिशनों में 2 लाख से ज्यादा सैनिकों और बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों को भागीदार बनाया गया है।
  2. भारत ने लगभग 800 शांति स्थापना अधिकारियों को 82 देशों के लिए प्रशिक्षित किया है।
  3. भारत ने अपने शांति अभियानों में लैंगिक समानता को बढ़ावा देने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं।
  4. भारत ने कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में संयुक्त राष्ट्र संगठन स्थिरीकरण मिशन और अबेई के लिए संयुक्त राष्ट्र अंतरिम सुरक्षा बल में महिला दल को तैनात किया है।
  5. भारत ने चार महाद्वीपों में संयुक्त राष्ट्र के शांति अभियानों में भाग लिया है, और विशेष रूप से एशिया और अफ्रीका में शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।

Global Citizenship Education Semester 2 Important Questions in Hindi

  1. वैश्विक नागरिकता का अर्थ क्या है?
  2. एक वैश्विक नागरिक की विशेषताएँ क्या होती हैं?
  3. वैश्विक नागरिकता को बढ़ावा देने वाले एजेंसियों कौन-कौन से हैं?
  4. वैश्विक नागरिकता को बढ़ावा देने में सिविल समाज का क्या योगदान है?
  5. सतत विकास का अर्थ और अवधारणा क्या है?
  6. प्राकृतिक संसाधन संरक्षण क्यों महत्वपूर्ण है?
  7. सांस्कृतिक विविधता और सहिष्णुता का क्या अर्थ है?
  8. जलवायु परिवर्तन और इसके प्रभाव क्या हैं?
  9. लिंग समानता और न्याय क्यों महत्वपूर्ण हैं?
  10. जनजातीय जीवन का अर्थ क्या है?
  11. मानव अधिकार का मतलब, व्यापकता और महत्व क्या है?
  12. मानव अधिकारों का ऐतिहासिक विकास क्या है?
  13. मानव अधिकारों की विश्वव्यापी घोषणा क्या है?
  14. मानव अधिकारों के सामने प्रमुख चुनौतियां क्या हैं?
  15. विवादों के शांतिपूर्ण समाधान के लिए योजना क्या है?
  16. शांति निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों कौन-कौन से हैं?
  17. गांधीजी के अहिंसा और विश्व शांति पर क्या विचार थे?
  18. विश्व शांति के प्रोत्साहन के लिए भारतीय प्रयास क्या हैं?

Global Citizenship Education Semester 2 Syllabus, Notes, Important Questions in Hindi [PDF]

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निष्कर्ष

आज के इस पोस्ट में हमने सेमेस्टर 2 के विषय Global Citizenship Education के सिलेबस, नोट्स और महत्वपूर्ण प्रश्नों को देखा। आशा करते है कि यह पोस्ट आपको पसंद आया। इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें।
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My name is Gyanesh Kushwaha, and I’m a college student who’s passionate about reading, writing and coding. I am here to share straightforward advice to students. So if you’re a student (high school, college, or beyond) looking for tips on studying, …

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